शहीदकी पत्नीको नही मिली नौकरी, हो गए 3 साल


  • लांसनायक हनुमंथप्पा को सियाचिन में बर्फ के नीचे से छह दिन बाद चमत्‍कारिक तरीके से जीवित बाहर निकाल लिया गया था लेकिन उन्‍हें बचाया नहीं जा सका। केंद्र और राज्‍य सरकार ने उनके परिवार को नौकरी, जमीन और घर देने का वादा किया था।



फ़ाइल फोटो

तीन साल पहले जम्‍मू-कश्‍मीर के सियाचिन में शहीद होने वाले कर्नाटक के लांसनायक हनुमंथप्पा की बहादुरी को पूरे देश ने सल्‍यूट किया था। उस समय केंद्र और राज्‍य सरकारों ने जवान के घरवालों को नौकरी, घर और जमीन देने का वादा किया था। साथ ही उनकी 5 साल की बेटी का भविष्‍य सुरक्षित करने की दिशा में भी कदम उठाने की बातें की गई थीं पर जवान की पत्‍नी महादेवी को अब तक कोई नौकरी नहीं मिल सकी है। उनके पास ऐसा कोई आर्थिक स्‍त्रोत भी नहीं है जिसके जरिये वह अपनी बेटी को बेहतर शिक्षा दिला सकें।

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